Tuesday, January 24, 2012

यहां भी है रोचकता


हम में से कई साथी इस बात पर सहमत हो सकते हैं कि विज्ञान, विषय के तौर पर थोड़ा कम रोचक है। इसमें साहित्य या अन्य कला संबंधी विषयों की तरह कथा-कहानियों और बांध कर रखने वाले रोचक तत्वों की कमी है। लेकिन नहीं। असल में विज्ञान भी उतना ही रोचक है, जितना कि कला। दरअसल मूल समस्या हमारे पढऩे के तरीके में है। यदि हम विज्ञान और उससे जुड़ी खोजों की कहानियों को पढ़ें, तो यकीन मानिए ये आपको कला से भी ज्यादा रोमांचित करती हैं। हममें से कई साथियों को पहली बार इस बात पर हंसी आई होगी कि न्यूटन को गुरुत्वाकर्षण बल का एहसास सिर पर फल के गिरने से हुआ या यह कि आर्किमिडीज ने स्नान के समय जब खुद को पानी में हल्का महसूस किया, तो अपनी इस खोज पर वे बिना कपड़ों के ही स्नानघर से 'यूरेका यूरेका' चिल्लाते हुए दौड़ पड़े थे। हाल ही एक अध्ययन रिपोर्ट ने भी देश में विज्ञान की पढ़ाई और उसके तरीकों पर सवालिया निशान लगाया है, जिसके बाद इसे रोचकता से पढ़ाने और शिक्षा प्रणाली में बदलाव की वकालत की जा रही है। विज्ञान में रोचकता और बांध कर रखने वाली इसी कड़ी की खोज में भटकते हुए मैं एक वेब साइट पर पहुंचा। साइट का नाम है- 'टुडे इन साइंस हिस्ट्री'

यह साइट अपने नाम के अनुरूप विज्ञान जगत के इतिहास की तिथिवार कहानियां सुनाती है। यदि आप पिछली किसी तिथि पर हुई खोजों, विज्ञान जगत में जन्म और मृत्यु जैसी जानकारी लेना चाहें, तो कैलेंडर में फेरबदल कर सकते हैं। साइट के बाईं ओर मेन्यू में साइंस कोट्स का ऑप्शन है, जहां साइंटिस्ट्स के कोटेशंस ढूंढे जा सकते हैं। साइंस स्टोरीज और कैमेस्ट्री स्टोरीज सेक्शन में आविष्कारों की रोचक कहानियों को पढऩे का मौका मिलता है। आशा है, विज्ञान को रोचक नहीं मानने वाले साथियों को यहां कुछ रोचक तथ्य मिल जाएंगे।


साइट का पता है-

राजस्थान पत्रिका के एजुकेशन सप्लीमेंट ' मी नेक्स्ट ' में दिनांक -22 जनवरी 2012  को प्रकाशित 

यादें याद आती हैं...

समय जैसे-जैसे आगे बढ़ता है, अपने पीछे यादें छोड़ जाता है। ये यादें कभी शिकायत, कभी नगमें तो कभी बातों के रूप में सामने आती हैं। और बात जब नगमों, बातों, शिकवों और वादों की हो, तो बरबस ही ध्यान उन रेडियो कार्यक्रमों पर चला जाता है, जिसने हमें अपनों से इसे साझा करने का मंच दिया। आज भले ही रेडियो का स्वरूप बदल गया है और यह बहुत हद तक एफएम चैनलों पर गीतों और विज्ञापनों तक सिमट गया है, लेकिन इस सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता कि पहले-पहल रेडियो ने ही हमें खबरों से लेकर मनोरंजन और दूर किसी अपने से यादों और बातों को साझा करना सिखाया। रेडियो से संबंधित इन्हीं यादों, बातों और गिले-शिकवों को साझा करने को कुछ रेडियोकर्मियों ने नाम दिया है- 'रेडियोनामा'।

इस ब्लॉग ने अपने साथ एक पंच लाइन जोड़ रखी है 'बातें रेडियो की... यादें आपकी', जो अपने आप में इस ब्लॉग पर उपलब्ध लेखों की बानगी पेश करता है। यह ब्लॉग इस मायने में मजेदार है कि यहां रेडियो से जुड़े कई जानी-मानी आवाजों को पढऩे का मौका मिलता है। यहां रेडियो स्टूडियो के  कई अनछुए पहलुओं को शब्दों में इस तरह पिरोया गया है कि क्षणभर के लिए ऐसा एहसास होता है मानों हम वहीं उनके साथ रेडियो स्टूडियो में मौजूद हों। एक ऐसे ही याद को साझा करते हुए एक रेडियोकर्मी लिखते हैं कि जब जगजीत सिंह की मृत्यु की खबर आई तो उनकी आंखों में आंसू थे, बावजूद इसके उन्हें यह खबर समाचारी लहजे में श्रोताओं तक पहुंचानी थी।

बहरहाल, यह ब्लॉग हमें भी रेडियो से जुड़ी अपनी यादें साझा करने का मौका देता है। शर्त बस इतनी है कि हम अपनी बात हिंदी में कहें। यहां हमें रेडियो जगत की जानी-मानी हस्तियों के साक्षात्कार को पढऩे और रेडियो जगत की बहसों से रूबरू होने का मौका मिलता है।


ब्लॉग का पता है-

राजस्थान पत्रिका के एजुकेशन सप्लीमेंट ' मी नेक्स्ट ' में दिनांक -15 जनवरी 2012  को प्रकाशित 

Wednesday, January 11, 2012

ऑनलाइन रीडिंग जोन

न्यू ईयर सेलिब्रेशन खत्म हो चुका है। नई योजनाओं, नए रेजोल्यूशंस, नए सपनों और नई अपेक्षाओं के साथ नए साल की शुरुआत हो चुकी है। हमारे कॉलेज गोइंग साथियों की क्लासेज भी शुरू हो चुकी हैं। यानि अब मस्ती वाले माहौल और दोस्तों से दूर किताबों से दोस्ती करने का समय आ गया है। बात जब दोस्ती की हो रही है, तो यह भी सच्चाई है कि किताबों से बेहतर हमारा कोई दोस्त नहीं होता। एक सच यह भी है कि हर समय कोर्स की किताबों में लगे रहना कभी-कभी बोर कर जाता है। ऐसे में लिट्रेचर की किताबें पढऩा एक बेहतर विकल्प हो सकता है। लिट्रेचर की किताबें न सिर्फ हमारा मनोरंजन करती हैं, बल्कि यह हमें जिंदगी को नए तरीके से देखने का नजरीया भी देती हैं। इंटरनेट की दुनिया में ऐसे कई वेबसाइट्स हैं, जो हमें ऑनलाइन रीडिंग जोन उपलब्ध कराते हैं। एक ऐसा ही साइट है 'रीड प्रिंट'।

इस साइट पर इंग्लिश लिट्रेचर में एसेज, फिक्शन, नॉन-फिक्शन, प्ले, पोएट्री और शॉर्ट स्टोरीज सेक्शंस की कई नई और क्लासिकल किताबें उपलब्ध हैं। रुचि के अनुसार किताबों को ढूंढने के लिए यहां इन सेक्शंस के अलावा फेवरिट ऑथर्स और होमपेज पर नीचे की ओर एक बुक गैलेरी के अलावा रीडर्स के रुझान के आधार पर टॉप फाइव बुक्स और ऑथर्स सरीखे लिस्ट भी दिए गए हैं। बुक सलेक्शन कर बुक के इमेज या नाम पर क्लिक करते ही हमें रीड ऑनलाइन, बाय, राइट ए रिव्यू जैसे ऑप्शंस दिए जाते हैं। यहां से रीड ऑनलाइन के ऑप्शन पर क्लिक करते ही हमारे सामने सेलेक्टेड बुक के डिफरेंट चैपटर्स की लिस्ट आ जाती है। यहां से चैप्टर सलेक्ट कर उस चैप्टर के कंटेट को पढ़ा जा सकता है।

होमपेज पर ऑपशन्स की बात करें तो यहां ऑनलाइन बुक्स का सेक्शन है, जो बुक सेलेक्शन में मदद कर सकता है। फाइंड बुक्स में हम की-वर्ड टाइप कर बुक ढूंढ सकते हैं। एक और मजेदार ऑप्शन ब्राउज कोट्स हैं, जहां ऑथर्स या सब्जेक्ट्स के अनुसार फेमस कोटेशन्स को ढूंढा और पढ़ा जा सकता है। 
वेबसाइट का पता है-   
www.readprint.com
राजस्थान पत्रिका के एजुकेशन सप्लीमेंट ' मी नेक्स्ट ' में दिनांक - 08 जनवरी 2012  को प्रकाशित 

Saturday, January 7, 2012

लेट्स रॉक दिस सीजन

र्दी का मौसम, फेस्टिव सीजन की उमंग और नए साल का शुभारंभ।  यानि गाने-बजाने और झूमने के लिए एकदम परफेक्ट टाइमिंग। दोस्तों के साथ न्यू ईयर पार्टी और खूब सारी मस्ती। नए साल का यह माहौल ही रेजोल्यूशंस और नई योजनाएं बनाने के लिए रोमांचित करता है। ऐसे में क्यों न इस बार नए साल में कुछ ऐसा सीखा जाए, जो रिदमिक और क्रिएटिव तो हो ही साथ ही फुर्सत के पलों में कुछ सुकून भी दे जाए। 'गिटार' !  बताने की जरूरत नहीं कि इस शब्द के उच्चारण मात्र से ही मन के तार झनझना उठते हैं। हम चाहे कितने भी तनाव में क्यों न हों, झनझनाते तारों की सरगम हमें सुकून दे जाती है। यदि यह सब इतना सुकून देने वाला है, तो क्यों न नए साल में कुछ समय गिटार और म्यूजिक को भी दिया जाए। यह न सिर्फ हमारी क्रिएटिविटी को बढ़ाने में सहायक है, बल्कि यदि इसमें महारत हासिल की जाए, तो हम इसे बतौर प्रोफेशन भी अपना सकते हैं। म्यूजिक इंडस्ट्री में एक अच्छे गिटारिस्ट को हमेशा सराहा जाता है। इसके अलावा कुछ साथी मिलकर रॉक बैंड का निर्माण कर लाइव शोज और परफॉर्मेन्स भी दे सकते हैं।

मारा आज का वेबसाइट 'जैम प्ले' आपको घर बैठे गिटार की टे्रनिंग देता है। यह साइट बिगिनर और पहले से गिटार बजा रहे दोनों तरह के साथियों के लिए लाभदायक है। वेबसाइट पर लेसंस, लाइव परफॉर्मेन्स, टीचर्स आदि के सेक्शंस बने हुए हैं। लेफ्ट और राइट साइड में गिटार, बिगिनर, जॉनर और सांग लेसंंस के ऑप्शंस भी एवेलबल हैं। संबंधित ऑप्शन पर क्लिक करते ही वीडियो की मदद से हमारी ट्रेनिंग शुरू हो जाती है। ध्यान रहे इसके लिए आपके ब्राउजर का फ्लैशप्लेयर अपडेटेड हो, ताकि वीडियो आसानी से प्ले हो जाए। साइट पर 'लेसंस' सेक्शन के अंदर बेसिक, स्टाइल एंड जॉनर, स्किल बिल्डिंग जैसे  कई ऑप्शन दिए गए हैं, जहां से आप इलेक्ट्रिक और एकॉस्टिक गिटार के साथ ही ब्लूज, मेटल, रॉक, क्लासिकल, जैज आदि जॉनर का चयन कर सकते हैं। लेट्स 

वेबसाइट का पता है-  www.jamplay.com

राजस्थान पत्रिका के एजुकेशन सप्लीमेंट ' मी नेक्स्ट ' में दिनांक - 01 जनवरी 2012  को प्रकाशित